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तूफान की तबाही मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग 05 लेखनी कहानी -10-Jul-2022

       =                सविता की बात सुनकर रमन की माँ बोली ,"बहिन  मै तो आपके रिश्ते के लिए तैयार परन्तु पहले बच्चे एक दूसरे को पसन्द करलें क्यौकि आजकल के रिश्ते बच्चौ की पसन्द नापसन्द पर ही तय होते है इस लिए आप  पहले  अपनी बेटी को रमन से मिलवाने के लिए तैयारी करो।"

       सविता बोली," आप जहाँ भी कहैं मै वही पर अपनी बेटी कै लेकर  पहुँच जाऊँगी। "

      रमन की मम्मी बोली," अबतो आपको हमारी चाय पीनी ही होगी क्यौकि अब आप हमारी रिश्तेदार बनने जारही हो। "

     आज सविता के सिर से बहुत बडा़ बजन कम होगया था क्यौकि वह जानती थी कि उनकी बेटी मे किसी तरह की कोई कमी नहीं है वह सुन्दर भी है और उसका स्वभाव भी इतना मृदुल है वह पहली बार मे ही सभी को भा जाती है।

     सविता ने घर आकर अपनी पति की तस्वीर के सामने खडी़ होकर वह अपनी आँखौ मे आँसू भरकर बोली " आप जो जिम्मेदारी का भार मेरे सिर पर छोड़कर गये हो मैं उसको  पूरा करने की कोशिश कर रही हूँ। इसे पूरा करने में कोई कमी रह जाय तो मुझे माँफ करना। आप कहाँ हो मुझे तो आजतक मालूम नही हो सका मालूम नही मुझसे ऐसी कौनसी भूल होगयी जिसकी आपने इतनी बडी़ सजा दी है। आपने उस तूफान की तबाही मे मेरी व अपनी उस बेटी की खबर भी नही पूछ सके जिस बेटी में आपकी जान बसती थी।

     इतना कहते ही सविता को रुदाली के पैदा होनेके समय का दृश्य याद आगया।

    जब  सविता  डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती थी  जब उसे डिलेबरी रूम मे डाक्टर व नर्स लेकर जारही थी तब सविता  आनन्द की तरफ  देखरही थी वह बहुत परेशान नजर आरही थी। आनन्द ने अपना हाथ हिलाकर और दोनौ उंगलियौ से विक्ट्री का वी बनाकर उसे आश्वत किया था।

      औरसविता डिलेवरी रूम मे चली गयी। एक घन्टे बाद खबर मिली थी कि बेटी हुई है तब केवल आनन्द ने ही खुशिया प्रकट की थी सविता की सास ने जब बेटी पैदा होने की खबर सुनी उनका पारा सातवे आसमान पर था। उनको पोती नही पोता चाहिए था। परन्तु वह कुछ बोल नही सकी थी।

           इसके विपरीत आनन्द ने बेटी बेटा एक समान कहकर जश्न मनाया था।   बेटी के जन्म के बाद सविता को  अपनी सास का गुस्सा सहन करना पडा़ था जबकि यह सच्चाई सब जानते है कि बेटा बेटी को जन्म देना मनुष्य के अधिकार में नही आता है यह तो ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करता है कि बेटी होगी अथवा बेटा। 

     परन्तु मनुष्य इसका दोष भी एक दूहरे को देकर अपने मन में खुश होजाता है यही सविता की सास कर रही थी। परन्तु आनन्द के कारण बात बनगयी थी अन्यथा सविता की सास ने तो कोई कमी नही छोडी थी।

      जैसे जैसे रुदाली बडी़ हुई फिर उसकी दादी भी उसे प्यार करने लगी थी एक समय तो ऐसा आया था कि दादी रुदाली के पक्ष में दीवार बनकर खडी़ हो जाती थी।

     आज यह सब बाते एक सपने की तरह याद आ रही थी।  आज न रुदाली की दादी थी और न पापा मौजूद थे जो अच्छे बुरे की पहचान से अवगत करवा देते। आज तो सारे निर्णय सविता को ही लेने थे। उसको ही सब कुछ करना था। उसके सिर पर पति अथवा सास का कोई हाथ नही था 

   रमन की मम्मी ने एक छोटे से पार्क मे सविता को बुलाया। क्यौकि रमन की मम्मी किसी का नाजायज खर्चा नही करवाना चाहती थी इसलिए उन्हौने यह कार्यक्रम पार्क में रखा था। 

        समय पर दोनौ पक्ष पहूँच गये। रमन रुदाली को देखकर तैयार होगया। जब रमन ने रुदाली से पूछा कि क्या तुम्है मुझसे कुछ पूछना है
तब रुदाली बोली," मुझे आपके बिषय मे मुझे मेरी मम्मी ने सब बता दिया है । फिरभी मै आपसे बस इतना अवश्य कहना चाहूँगी कि मेरी शादी के बाद मेरी मम्मा विल्कुल अकेली रह जायेगी ।अतः मै आपकी मम्मी व मेरी मम्मी दोनौ को एक साथ रखना चाहूँगी क्यौकि आपको मालूम ही होगा कि शहर में आये भयंकर तूफान के बाद पापा आज तक बापिस नही आये है न जाने वह किस हालात में कहाँ हौगे। "

       रमन ने रुदाली को इसके लिए हाँ कहदी ।और रमन व रुदाली का यह रिश्ता तय होगया। इस तरह सविता के सिर से एक बहुत बडा़ बोझ कम होगया।

                          क्रमशः :- आगे की कहानी अगले भाग 6 में पढि़ए।

मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"
23/07/2022


     

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7 Comments

Mohammed urooj khan

30-Jul-2022 02:21 PM

Nice

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Abhinav ji

25-Jul-2022 08:02 AM

Very nice👍

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Kusam Sharma

25-Jul-2022 07:28 AM

Nice

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